यदि प्रधानमंत्री बन जाते, अपने
वीर सुभाष ।
तो जनता की पूरन होती, मन चाही
सब आश।।
इतना भ्रष्टाचार न होता, ना होता व्यभिचार।
न गरीब भूखा मर पाता, महंगाई से हार ।।
पाकिस्तान शत्रु बन करके, लुक
छिप कर जो मारे।
कब का सबक सिखा देते, करके वारे न्यारे ।।
दुर्घटना में नहीं मरे वे, यह है गढ़ी कहानी।
छद्म वेश में यहीं रहे वे, सुन होती हैरानी।।
-डॉ. रुक्म त्रिपाठी
आपकी पोस्ट की चर्चा 24- 01- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें ।
सटीक |
ReplyDeleteआभार आदरणीय ||
वाकई...उनकी मृत्यु रहस्य में ही है अब तक...
ReplyDeletebahut khub sir
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