Monday, January 21, 2013


                     कर दिया पराया
चौथेपन में जीवनसाथी, यदि हठात् ही छोड़े साथ।
ऐसा अंधकार छा जाता,राह न सूझे, हुए अनाथ॥
सभी जानते , जब जाना हो, कोई संग न आता ।
सब कुछ यहीं छूट जाता है, जैसा भी हो नाता ॥
     सब सद्ग्रंथ यही कहते हैं, कुछ ऐसी करनी कर जाओ।
     अंतकाल जब जाओ जग से, कष्ट न भोगो सद्गति पाओ॥
जीवनसाथी साठ साल तक, तुमने साथ निभाया।
किंतु अचानक क्या सूझा था, जो कर दिया पराया॥
-डॉ. रुक्म त्रिपाठी

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